तारिणी चाचा एक किस्सागो हैं। चार-बच्चों के एक समूह को वे अक्सर किस्से सुनाते हैं। उनका कहना है कि कहानी कहने के आर्ट के चलते थोड़ी-बहुत कल्पना का इस्तेमाल करना पड़ता है, वर्ना सारे किस्से सच्चे हैं। बच्चों को जानकारी मिलती है कि तरिणी चाचा ने काम-धन्धे के सिलसिले में सारा भारतवर्ष छान मारा है और इस दौरान विभिन्न प्रकार के अनुभव उन्होंने प्राप्त किये हैं।
तारिणी चाचा के किस्सों में रहस्य-रोमांच भरपूर होता है, किस्सों के शीर्षक से ही इसका अनुमान लगाया जा सकता है- डुमनीगढ़ का आदमखोर, कॉन्वे कैसल की प्रेतात्मा, तारिणी चाचा और बेताल, लखनऊ का द्वन्दयुद्ध (Duel), धूमलगढ़ का हॉण्टिंग लॉज, तारिणी और इन्द्रजाल, नरिस साहब का बँगला, इत्यादि। दर्जन भर से ज्यादा किस्से हैं उनके।
तारिणी चाचा का यह किरदार सत्यजीत राय ने गढ़ा है। बेशक, यह किरदार फेलू’दा और प्रो. शंकु जितना लोकप्रिय नहीं है, लेकिन ये किस्से रहस्य-रोमांच के मामले में कहीं से उन्नीस नहीं हैं।
योजना है कि तारिणी चाचा के सारे किस्सों का धीरे-धीरे अनुवाद कर लेने के बाद किसी प्रकाशक से सम्पर्क किया जायेगा। चूँकि सत्यजीत राय की रचनाएं कॉपीराइट के दायरे में आती हैं, इसलिए जगप्रभा की वेबसाइट पर इन्हें बिक्री के लिए नहीं रखा जा सकता। वेबसाइट के अन्तिम हिस्से में ऐसे (कॉपीराइट वाले) अनुवादों की एक सूची है, उसी में इन किस्सों के अनुवादों को जोड़ा जायेगा। इच्छुक पाठक/प्रकाशक इन्हें पढ़ने/प्रकाशित करने (जरूरी अनुमति हासिल करते हुए) के लिए [email protected] पर सम्पर्क कर सकते हैं।
आज तारिणी चाचा का पहला किस्सा “डुमनीगढ़ का आदमखोर” इस सूची में शामिल किया जा रहा है।
-जयदीप
01 फरवरी 2024