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Shani Mangal ka Rahasya

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शनि मंगल का रहस्य

मन्दिर तक जाने के लिए ठीक-ठाक या मुख्य रास्ता एक ही था। पीछे की तरफ से भी हालाँकि मन्दिर में आया जा सकता था, लेकिन वह रास्ता रास्ता-जैसा नहीं रह गया था— कँटीली झाड़ियों, जंगल और बाँस-झाड़ भेदकर उधर से आना पड़ता था, इसलिए दिन के समय में भी उस रास्ते पर राहगीर नहीं दिखते थे।

सुरेन्द्रबाबू की मृतदेह मिली मन्दिर जाने के मुख्य रास्ते पर ही। उनके शरीर पर अस्त्राघात का कोई चिह्न नहीं था, सिर्फ उनकी गर्दन की बाँयी तरफ सूई की नोंक-बराबर रक्त लगा हुआ था! अर्थात् शरीर पर आलपिन या सूई चुभोने से जैसा दाग बनेगा, वैसा ही निशान था; लेकिन शव के आस-पास बहुत खोज-बीन करके भी सूई-जैसी कोई चीज नहीं पायी गयी। बाद में अन्त्यपरीक्षण से प्रमाणित हुआ कि सुरेन्द्रबाबू की मृत्यु जहर से ही हुई थी।

दस्युकाली मन्दिर के खण्डहर के सामने दो पुलिसकर्मियों सहित कुल तीन लोगों की सन्देहास्पद मृत्यु की पूरी कहानी सुन्दरबाबू से सुनने के बाद जयन्त बोला, “…अब जरा बताईए, आपको मेरा केवल परामर्श चाहिए, या मेरी सहायता चाहिए?”

“तुम यदि मेरी सहायता करने के लिए राजी हो जाओ, तब तो मेरा बहुत सारा परिश्रम हल्का हो जायेगा!”

“हाँ, मैं तैयार हूँ। कब रतनपुर जा रहे हैं?”

“कल।”

“ठीक है, कल ही हम आपके संगी बनेंगे।”

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Description

SHANI MANGAL KA RAHASYA (Mystery of Saturday & Tuesday)

Hindi translation of the Bengali detective story ‘Shani Mangaler Rsahasya’ from the ‘Jayant-Manik’ series.

  • Original author: Hemendra Kumar Roy (1888-1963)
  • Hindi translation: Jaydeep Shekhar

Format- PDF | Pages- 73 | Dimension- 5.5″x8.5″ | Size- 1.03 MB

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73

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