Sarpmanav

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सर्पमानव

वह रेंगती हुई चीज इन्सानी आकार-प्रकार की थी— पूरी तरह निर्वस्त्र। शरीर पर कहीं बाल नहीं थे, जबकि उसकी पीठ पर पीलापन लिये भूरे रंग के शल्क कमरे की मद्धम रोशनी में साफ नजर आ रहे थे। कन्धों पर भूरे धब्बे थे और सिर विचित्र ढंग से सपाट था। जब उसने मुझ पर फुंफकारने के लिए सिर उठाया, तो मैंने उसकी छोटी-छोटी काली आँखों को देखा, जो लगीं तो इन्सानी आँखों जैसी ही, लेकिन मुझमें ध्यान से देखने का साहस नहीं था। उन आँखों की डरावनी निगाहें मुझ पर एकटक जमी हुई थी। मैंने हाँफते हुए पैनल को बन्द कर दिया। मनुष्य और साँप के मिले-जुले रंग-रूप वाले उस प्राणी को एक छोटे कमरे की भूतिया रोशनी में फर्श पर पड़े फूस पर रेंगते और ऐंठते हुए देर तक देख पाना मेरे लिए सम्भव नहीं था। मेरे कदम जरूर लड़खड़ा गये थे, क्योंकि डॉक्टर ने नर्मी के साथ मेरी बाँह को थामा और मुझे लेकर वहाँ से लौटने लगे। मैं लड़खड़ाती जुबान से बार-बार दुहरा रहा था, “भ- भगवान के लिए… यह क्या था?”

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Description

Hindi eBook: SARPAMANAV (The Snake-human)

Hindi translation of the English horror story ‘The Curse of Yig’ (1928).

Original author: Howard Phillips Lovecraft (1890-1937) with Zealia Bishop (1897-1968)

Format: PDF | Dimension: 8.5″x5.5″ | Pages: 36 | Size: 1.81 MB

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