Paraloukik Kahaniyan (Pehla Darjan)
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बँगला किशोर साहित्य में भूतिया एवं डरावनी कहानियों का एक बड़ा खजाना उपलब्ध है। हेमेन्द्र कुमार राय रचित ऐसी ही कहानियों का हिन्दी अनुवाद ‘डरना मना है’ शृंखला के अन्तर्गत प्रस्तुत किया जा रहा है। 12 कहानियों का यह पहला दर्जन है।
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मूल बँगला लेखक: हेमेन्द्र कुमार राय (1888 – 1963)
बँगला में किशोर-साहित्य के एक लोकप्रिय कथाकार। बाल-किशोरों के लिए सैकड़ों कहानियों एवं लघु उपन्यासों की रचना की- बड़ों के लिए भी बहुत कुछ लिखा। 1930 से 1960 के दशकों में उनकी कहानियों के बिना बाल-किशोर पत्रिकाएं अधूरी-सी लगती थीं। मुख्यरूप से उन्होंने दुस्साहसिक (Adventure), जासूसी (Detective) और परालौकिक (Supernatural), कहानियाँ लिखी हैं। कहानियों में रहस्य (Mystery), रोमांच (Thrill) और भय (Horror) का ऐसा पुट होता है कि दम साधकर कहानियों को पढ़ना पड़ता है। कुछ कहानियाँ खजाने की खोज (Treasure hunt) और वैज्ञानिक कपोल-कल्पना (Science-fiction) पर भी आधारित हैं। उनकी रची ‘कुमार-बिमल’ और ‘जयन्त-माणिक’ शृंखलाएं अपने समय में बहुत लोकप्रिय हुई थीं- पहली दुस्साहसिक कहानियों की तथा दूसरी जासूसी कहानियों की शृंखला है। उनकी रची परालौकिक कहानियों को पढ़ने का अलग ही रोमांच है।
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