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Mohanpur ka Shmashan

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मोहनपुर का श्मशान

शंकर बसु एक अध्यापक और मेरे मित्र थे। उस बार की पूजा की छुट्टियाँ बिताने के लिए वे मुझे अपने साथ अपने गाँव ले गये थे। उनका गाँव बर्द्धमान जिले में था दामोदर नदी के किनारे। यहाँ पहले मैं कभी नहीं आया था।

उनके घर के बैठकखाने में घुसते ही एक बड़े-से तैलचित्र ने मेरा ध्यान आकर्षित किया।

तैलचित्र का विषयवस्तु इस प्रकार से था-:

चारों तरफ अन्धेरा।  एक युवती अपना दाहिना हाथ उठाकर पुराने समय का एक लालटेन थामे खड़ी थी। युवती का पूरा शरीर अन्धेरे में घुल-मिल रहा था- केवल उसका चेहरा स्पष्ट दिखायी पड़ रहा था। अनुपम सौन्दर्य से भरा जीवन्त चेहरा था वह। चित्र में एक तरफ धुंधले प्रकाश व धुंधले अन्धेरे में कोई और भी खड़ा नजर आ रहा था। वह एक युवक था और उसके चेहरे पर उभरा हुआ था चरम विस्मय एवं दारूण आतंक का भाव! सुन्दरी के लालटेन की रोशनी में युवक ने शायद कोई ऐसा भयंकर दृश्य देख लिया था, जो किसी के रक्त को जमाकर बर्फ कर सकता था!

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Description

Mohanpur ka Shmashan: Crematorium of Mohanpur

Hindi translation of the Bengali horror story ‘Mohanpurer Shmashan.’

Original author: Hemendra Kumar Roy (1888-1963)

Hindi translation: Jaydeep Shekhar

Format- PDF | Pages- 31 | Size- 565 KB | 5.5″x8.5″

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