Sale!

Meri Jeewanyatra

Original price was: ₹85.00.Current price is: ₹30.00.

होली के दिन नहा-धोकर धोती-कुर्ता पहनकर सरदारजी के यहाँ जा रहा था खाना खाने। रास्ते के किनारे मिसिरजी की दुकान थी। पान से लेकर हर तरह की चीजें वहाँ मिलती थीं। कामचलाऊ झोपड़ीनुमा घर था उनका। आधे में दुकान थी और बाकी आधा उनका शयनकक्ष था। चारपाई बिछी रहती थी।

मुझे देखकर बोले- ‘कहाँ चले बाबू, आज होली का दिन है और देह पर कोई रंग नहीं देख रहा हूँ- यह क्या अच्छी बात है?’

मैंने कहा- ‘बात अच्छी हो या बुरी, मैं तो सरदारजी के पास जा रहा हूँ दिन का खाना खाने।’

उनके मन का अभिप्राय मैं समझ नहीं पाया था, इसलिए एक अप्रत्याशित घटना घट गयी।

दुकान के पास ही पाँच-सात ‘रेजा’ (श्रमिक) युवतियाँ खड़ी थीं। रंगों से सराबोर। मिसिरजी ने स्थानीय बोली में जाने उनसे क्या कहा, पलक झपकते उन युवतियों ने मुझे घेरकर चन्दोला बनाकर उठा लिया और चारपाई पर लिटा दिया। इसके बाद सारे शरीर पर गुलाल मल दिया। एक कल्पनातीत काण्ड घट गया यह। कुछ कर तो सकता नहीं था। उठकर झाड़-पोंछकर तैयार हुआ।

चलने ही वाला था कि फिर मिसिरजी की टिप्पणी सुनायी पड़ी- ‘यह क्या अच्छी बात है बाबू- उन लोगों ने आपको अबीर लगाया और आप उनका मुँह मीठा कराये बिना चले जा रहे हैं?’

आखिरकार मुझे उनकी दुकान से दस रुपये के लड्डू खरीदने पड़े। उस दिन यही होली रही मेरी।

Read | Download Free Preview

SKU: JP-MJY Category: Tags: , ,

Description

MERI JEEWANYATRA (Journey of my Life)

An autobiography of a retired Railway employee.

Original autho: Digambar Shaw (1936-2021)

Hindi translation: Jaydeep Shekhar

Copyright © 2023: Kanchan Kumari Shaw

Format: PDF | Size: 1.37 MB | Pages: 120 | Dimension: 8.5″ x 5.5″

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Meri Jeewanyatra”

Your email address will not be published. Required fields are marked *