Sale!

Lohe ke Biskut

30.00

ब्योमकेश टेबल के पास जाकर बोले, “वो जो पुलिस की तलाशी में लोहे के कुछ रैपर मिले थे, उन्हें पुलिस ले गयी है?”

“एक रैपर पुलिस ले गयी है, बाकी दराज में हैं।” कमलबाबू नीचे की एक दराज खोलकर बोले, “ये रहे!”

दराज में पीछे की तरफ कुछ रैपर पड़े हुए थे, एक को निकालकर ब्योमकेश ने उलट-पलटकर देखा। आकार-प्रकार सिगरेट की डिब्बी के अन्दर के रुपहले कागज के वर्क-जैसा ही था। उसे रखकर वे मुस्कुराकर बोले, “मजेदार चीज है यह तो! इसके अन्दर पूरे दो बिस्कुट रखकर धागे से बाँध देने से ही निश्चिन्त!

***
लोहे के रैपर में बिस्कुट? राज क्या था?

Preview: Read Inside (Download PDF)

—-

लेखक परिचय: शरदिन्दु बन्द्योपाध्याय (1899 – 1970)

बँगला साहित्य में जासूसी कहानियों को सम्मानजनक स्थान दिलाने वाले लेखक। इनके द्वारा गढ़े गये चरित्र ब्योमकेश बक्शी के नाम से शायद ही कोई अपरिचित हो। ब्योमकेश खुद को ‘जासूस’ नहीं, ‘सत्यान्वेषी’ कहते थे। वे अपनी आँखों से महीन पर्यवेक्षण तथा दिमाग से गहन विश्लेषण करके जटिल से जटिल मामलों की तह तक पहुँच जाते थे।

शरदिन्दु बन्द्योपाध्याय ने यूँ तो बँगला में काफी कुछ लिखा है, कई किरदार गढ़े हैं, वे फिल्मों में पटकथा लेखक भी रहे हैं, पर वे ब्योमकेश बक्शी के प्रणेता के रूप में ही जाने जाते हैं। उन्होंने ब्योमकेश बक्शी की कुल 32 कहानियाँ (33वीं कहानी अधूरी है) लिखी हैं, जिनमें से ज्यादातर पर फिल्में या टीवी धारावाहिक बन चुके हैं। 1932 से 1936 तक उन्होंने ब्योमकेश की 10 कहानियाँ लिखीं, इसके बाद वे फिल्मों में व्यस्त रहे, फिर 1951 से 1970 के बीच बाकी कहानियाँ लिखीं।

Description

LOHE KE LOHE KEBISKUT (The Iron Biscuits)

Hindi translation of the Bengali detective story ‘Loha’r Biskut’ (1969) from the ‘Byomkesh Bakshi’ series.

  • Original author: Sharadindu Banyopadhyay (1899-1970) Original author
  • Hindi translation: Jaydeep Das Hindi translation (Pen Name: Jaydeep Shekhar)

Additional information

Pages

18

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Lohe ke Biskut”

Your email address will not be published. Required fields are marked *