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Daitya ka Punarjanma

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दैत्य का पुनर्जन्म

हालाँकि इन वर्षों में सराय-मालिक के बेटे ने किसी को भी अपने तहखाने में नहीं आने दिया था, लेकिन तरह-तरह की कहानियाँ इलाके भर में प्रचलित हो गयीं थीं।

इन कहानियों को सुनकर एक बार लम्बी दाढ़ी वाले एक साधू सालाना प्रतियागिताओं के समय उस कबीले में आये। उन्होंने सराय-मालिक के बेटे को आगाह किया कि वह बहुत खतरनाक काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि ये हड्डियाँ पुराने जमाने के एक दैत्य की हैं, जो अपनी हड्डियों से फिर से जी उठने की अलौकिक क्षमता रखता है। यह फिर से न जिन्दा हो, इसी कारण इन हड्डियों को दूर-दूर भेजवाया गया था। अब ये हड्डियाँ चूँकि एक ही स्थान पर इकट्ठी हो गयी हैं, अतः किसी खास घड़ी में दैत्य फिर से जिन्दा हो सकता है। हो सकता है कि धूप पड़ने से या पानी पड़ने से भी यह जी उठे।

(—कहानी से)

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Daitya ka Punarjanma: Resurrection of a Demon

Author: Jaydeep Shekhar

Format: PDF | Size: 478 KB | Pages: 11 | Dimension: 8.5″ x 5.5″

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