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Bhuwan Som

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‘भुवन सोम’ “बनफूल” का एक लघु उपन्यास है। दरअसल, जिन दिनों (1948-1955) वे ‘डाना’ उपन्यास लिख रहे थे, उन दिनों वे दूरबीन लेकर विभिन्न स्थानों पर जाकर पक्षियों का अध्ययन किया करते थे। “बनफूल” की जन्मभूमि मनिहारी और कर्मभूमि भागलपुर रही है, दोनों के बीच से गंगा नदी बहती है और गंगा नदी में बहुत सारे छोटे-बड़े रेतीले टापू हैं, जिन्हें स्थानीय बोली में ‘दियारा’ कहते हैं। जाहिर है कि पक्षी-प्रेक्षण के लिए “बनफूल” इन दियारों में बहुत भटके होंगे और इस दौरान दियारों पर रहने वाले लोगों की संस्कृति का उन्होंने- लेखक होने के नाते- निरीक्षण किया होगा। फिर अवसर मिलते ही इस संस्कृति की पृष्ठभूमि पर उन्होंने एक लघु उपन्यास रच डाला होगा। ‘भुवन सोम’ वही उपन्यास है, जो 1956 में प्रकाशित हुआ था। 1969 में इस पर फिल्म बनाते समय मृणाल सेन ने हालाँकि गंगा के इन रेतीले दियारों के स्थान पर राजस्थान के रेतीले गाँवों को पृष्ठभूमि के रूप में अपनाया था, लेकिन फिल्म का कथानक मूलरूप से यह उपन्यास ही था।

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Description

  • Bhuwan Som: Name of the main character of the story
  • Hindi translation of the Bengali novelette ‘Bhuban Som’ (1956)
  • Original Author: ”Banaphool” (Balai Chand Mukhopadhyay)

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