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“बनफूल” की भी कुछ रचनाएं

“बनफूल” (1899-1979) बँगला साहित्य के लब्धप्रतिष्ठित लेखक रहे हैं। उनका रचना-भण्डार बहुत विशाल है और उनमें विविधता भी बहुत है। बेशक, बाल-किशोरों के लिए भी उन्होंने बहुत-सी कहानियाँ लिखी हैं- हो सका, तो उन्हें कभी यहाँ प्रस्तुत भी किया जायेगा, लेकिन फिलहाल उनकी कुछ कहानियों, एक लघु उपन्यास और एक वृहत् उपन्यास के हिन्दी अनुवाद यहाँ प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

एक तो अनुवादक “बनफूल” को अपने इलाके का लेखक मानते हैं और दूसरे, अनुवादक का मानना है कि “बनफूल”-जैसे विलक्षण प्रतिभा के धनी लेखक को जो सम्मान एवं लोकप्रियता मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पायी है। इस कारण अनुवादक उन्हें इस वेबसाइट में शामिल कर रहे हैं।

एक और बात है- भविष्य में इस वेबसाइट पर रहस्य-रोमांच से भरपूर कहानियों का जखीरा इकट्ठा होने वाला है। इससे एक तरह की ‘एकरसता’ पैदा हो सकती है, ऐसे में “बनफूल” की रचनाएं स्वाद बदलने के काम आयेंगी।


मैंने कोलकाता के तीन प्रकाशकों (कहानियों के प्रकाशक- ग्रन्थालय, कोल- 7, ‘भुवन सोम’ के प्रकाशक- बाणीशिल्प, कोल- 9 और ‘डाना’ के प्रकाशक- दे’ज पब्लिशिंग, कोल- 73) तथा “बनफूल” के पौत्र (श्री महिरूह मुखर्जी) को ई’मेल भेजकर उनसे इन रचनाओं के Translation Rights माँगे हैं और यह कहा है कि इसके लिए जो License Fee चुकाना होगा, वह चुकाया जायेगा। अगर सकारात्मक जवाब आता है और लाइसेन्स फी चुकाना मेरे बस में होता है, तो कोई बात नहीं और अगर जवाब नकारात्मक आता है, तो इन अनुवादों को वेबसाइट से हटाना पड़ जायेगा।

—जयदीप शेखर

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